राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पहुंचा गैंगस्टर विकास दुबे एनकाउंटर का केस

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लखनऊ। कानपुर मुठभेड़ के मास्टरमांइड विकास दुबे के एनकाउंटर पर कई प्रकार के सवाल खड़े हो रहे हैं। अब ये एनकाउंटर का केस राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक पहुंच गया है। तहसीन पूनावाला की तरफ से NHRC में एनकाउंटर को लेकर शिकायत की गई है। इस शिकायत में गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर के अलावा उसके 5 दोस्तों के मारे जाने की बात स्वीकार की गई है, साथ ही लिखा गया है कि विकास दुबे ने खुद सभी के सामने सरेंडर किया था। उन्होंने दावा किया है कि वीडियो फुटेज में विकास दुबे टाटा सफारी में बैठा हुआ दिख रहा है, जबकि जो गाड़ी पलटी है वो दूसरी है। ऐसे में इस एनकाउंटर और घटना पर शक पैदा होता है। इसी वजह से मामले में जांच के लिए अपील की गई है। तहसीन पूनावाला की ओर से आरोप लगाया गया कि विकास दुबे को इसलिए फर्जी एनकाउंटर में मार दिया गया, ताकि उसके राजनीतिक और पुलिस महकमे में संबंध उजाकर नहीं हो पाए।                                                    एनकाउंटर से कुछ घंटे पहले ही सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में जताई गई थी ऐसी आशंका – उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा कुख्यात अपराधी विकास दुबे के पांच सहयोगियों के कथित मुठभेड़ की गहन जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई। इस याचिका में विकास दुबे को भी कथित मुठभेड़ में ढेर किए जाने की आशंका जताई गई थी और साथ ही इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की गई। वकील और याचिकाकर्ता घनश्याम उपाध्याय ने गुरुवार शाम याचिका दाखिल कर इस मुद्दे पर तुरंत सुनवाई करने और दुबे को पर्याप्त सुरक्षा दिए जाने की मांग की। याचिका में कहा गया है कि इस बात की पूरी संभावना है कि आरोपी विकास दुबे को हिरासत में लिए जाने के बाद भी उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा अन्य सह-अभियुक्तों की तरह ही मार गिराया जाएगा। याचिका में कहा गया है कि मुठभेड़ के नाम पर पुलिस द्वारा भी आरोपियों की हत्या की गई है और यह कानून के खिलाफ होने के साथ ही मानवाधिकार का भी गंभीर उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश पुलिस, प्रशासन द्वारा दुबे के आवासीय भवन और शॉपिंग मॉल को भी गिराने का काम किया गया है और साथ ही उनकी महंगी कारों और अन्य विभिन्न चल-अचल संपत्तियों को भी बुलडोजर, जेसीबी से धवस्त किया गया है, जो कि कानून का स्पष्ट तौर पर उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है, अपराध सिद्ध होने के बाद अभियुक्त, अपराधी को दंड देना सक्षम न्यायालय का कार्य है। इस प्रकार पुलिस को कानून हाथ में लेकर अपराध सिद्ध होने से पहले मुठभेड़ के नाम पर उसे मारकर अभियुक्त को दंडित करने का अधिकार नहीं है। याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से यह भी मांग की है कि दुबे का घर, शॉपिंग मॉल व गाडियां तोड़ने पर संबंधित लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए जाएं। याचिका में दुबे के पांच सहयोगियों को कथित तौर पर मुठभेड़ में मारे जाने के मामले को सीबीआई को सौंपने की भी मांग की गई है। याचिका दाखिल करने के कुछ घंटों बाद ही शुक्रवार सुबह कानपुर के रास्ते में एसटीएफ अधिकारियों के साथ कथित मुठभेड़ में गंभीर रूप से घायल होने के बाद दुबे की मौत हो गई।

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