लड़के के रूप में जन्मी प्रिथिका बनीं देश की पहली ट्रांसजेंडर सब-इंस्पेक्टर

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तिरुवनंतपुरम। हौंसला और मेहनत किसी की भी कामयाबी का बड़ा हिस्सा हुआ करते हैं। लेकिन इसके बाद भी कामयाबी को पाना बहुत बड़ी चुनौती होती है। जो इसका सामना करते हैं वह कामयाबी की मंजिल को पा लेते हैं। इसी चुनौती का सामना चेन्नई की प्रिथिका यशिनी को भी करना पड़ा। लेकिन उन्होंने न सिर्फ इसका सामना किया बल्कि इसमें जीत भी हासिल की। याशिनी ने लंबे संघर्ष और कड़ी मेहनत के बाद रविवार को बतौर सब-इंस्पेक्टर अपना पदभार ग्रहण कर लिया। बीते शुक्रवार को जब वह पासिंग आउट परेट के बाद अंतिम पग पार कर देश की पहली ट्रांसजेंडर पुलिस अधिकारी बनीं थीं तो यह दिन याशिनी के बेहद खास था। खास सिर्फ इसलिए नहीं कि वह इस कामयाबी को पाने में सफल हुईं, बल्कि खास इसलिए भी था क्योंकि वह अपने जैसे हजारों लोगों की जीत और उनकी उम्मीद की एक पहचान बन गई थी जो अपनी इस समस्या के बाद समाज से बहिष्कृत महसूस करते हैं। ऐसे लोगों के लिए याशिनी आज एक मिसाल है। रविवार को याशिनी ने तमिलनाडु के धरमपुर जिले में बतौर सब-इंस्पेक्टर अपना पद संभाल लिया। उनको फिलहाल लॉ एंड र्आडर्र विंग में तैनात किया गया है। हालांकि अपनी तैनाती के बाद याशिनी ने मीडिया से इस बाबत कुछ नहीं कहा। उनका कहना था कि अपने सीनियर ऑफिसर की इजाजत के बिना वह मीडिया से इस बारे में कोई बात नहीं करेंगी। बीते शुक्रवार को जब याशिनी की ट्रेनिंग पूरी हुई थी तब उसने अपनी इस कामयाबी पर खुशी का इजहार करते हुए कहा था ट्रेनिंग के दौरान उसकी सभी साथियों ने पूरी मदद की और पूरा साथ दिया। इसके लिए वह उन सभी की शुक्रगुजार है। याशिनी का कहना है कि वह एक कामयाब आईपीएस अधिकारी बनना चाहती है। इसके लिए वह अपनी ड्यूटी खत्म होने के बाद बचे समय में तैयारी करेगी। इसके साथ-साथ वह आईएएस की भी तैयारी साथ-साथ करेंगी। शुक्रवार को हुई पासिंग आउट परेड के दौरान राज्य के सीएम ईके पलानी सामी भी वहां मौजूद थे। याशिनी महिलाओं के हक और उनके खिलाफ हो रहे अपराधों के लिए पूरी मुस्तैदी के साथ लड़ना चाहती है। प्रिथिका का जन्म एक लड़के के रूप में ही हुआ था। बचपन में उसका नाम प्रदीप था। लेकिन बाद में उसको अपने अंदर हो रहे बदलावों का अहसास हुआ। इसके बाद उसने सर्जरी करवाने और एक लड़की की पहचान बनाकर जीवन जीने के निर्णय किया। हालांकि यह सब उसके और उसके परिवार के लिए काफी मुश्किल था। शुरुआत में उसके माता-पिता ने उसके लिए दवा से लेकर पूजा तक सभी चीजें की, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। बाद में वह भी उसके फैसले के आगे झुक गए।

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