अहमदाबाद। गुजरात में औद्योगिक समूहों के सस्ते दाम पर जमीन देने के विभिन्न मामलों की जांच के लिए गठित जस्टिस एमबी शाह आयोग ने तत्कालीन सरकार के मुखिया नरेन्द्र मोदी पर लगे आरोपों को नकार दिया। आयोग ने कहा कि राज्य के विकास के लिए सरकार ने नीतियों के तहत ही फैसला किया। जस्टिस शाह की रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गई जिसमें मुख्यमंत्री के रुप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से गुजरात के विविध औद्योगिक समूहों को दी गई जमीनों के मामले में कहा गया कि नैनो के लिए टाटा को दी गई जमीन व लोन से पहले ऐसा ही लाभ जनरल मोटर्स को भी दिया गया था। सिंगूर विवाद के बाद प्रोजेक्ट को गुजरात लाने के लिए सरकार का यह प्रयास था। गांधीनगर में 7 विविध कंपनियों को सस्ते दाम पर जमीन देने के आरोप भी आयोग ने नकारते हुए कहा कि सरकार की नीति व बाजार भाव के अनुसार ही जमीनों का आवंटन किया गया। शाह आयोग ने मोदी पर लगे सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया है। दो मामलों की जांच हाईकोर्ट में चल रही है इसलिए आयोग ने 15 मामलों की जांच की। कांग्रेस ने विविध कंपनियों को सस्ते दाम पर जमीन देने के मामलों की शिकायत राष्ट्रपति से की थी जिसकी जांच के लिए गुजरात सरकार ने जस्टिस शाह आयेाग गठित किया था।