मशहूर कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर को समर्थकों के साथ पुलिस ने किया गिरफ्तार।

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आगरा: एससी एसटी एक्ट के खिलाफ चल रहे सवर्णों के आंदोलन की अगुवाई करने वाले देवकी नंदन ठाकुर को आगरा पुलिस ने नाटकीय अंदाज में मंगलवार दोपहर में हिरासत में लिया। वे उस समय प्रेस कांफ्रेंस करने जा रहे थे कि उससे पहले पुलिस धमक गई। प्रशासन ने उन्‍हें सभा करने की अनुमति प्रदान नहीं की थी। उन्‍हें एक होटल में नजरबंद कर पूछताछ की गई अौर उसके बाद गिरफ़तार कर पुलिस लाइन भेज दिया गया। हंगामा करते हुए उनके साथ कुछ समर्थकों ने भी गिरफ़तारी दी है।
भागवताचार्य देवकी नंदन मंगलवार को कमला नगर स्थित एक रेस्टोरेंट में प्रेसवार्ता कर रहे थे। जानकारी मिलते ही आगरा पुलिस ने भारी फोर्स के साथ रेस्टोरेंट का बाहर से घेराव कर देवकी नंदन को हिरासत में ले लिया।
देवकी नंदन की आज खंदौली में सभा होनी थी। इसके लिए स्थानीय निवासी मनोज कुमार सिंह ने पुलिस से अनुमति मांगी थी। प्रशासन ने धारा 144 लागू होने का हवाला देकर अनुमति देने से मना कर दिया। प्रशासन की अनुमति न मिलने के बावजूद भी खंदौली में सभा की तैयारियां चलती रहीं। सोमवार को पुलिस ने पहुंच कर तैयारियों को रुकवा दिया तो आयोजकों ने सभा को स्थगित कर दिया था। प्रशासन ने सावधानी बरतते हुए पूरे क्षेत्र में भारी संख्या में पुलिस बल, पीएसी और दमकल तैनात कर दी थी।
मंगलवार को दोपहर अचानक पुलिस को सूचना मिली कि देवकी नंदन कमला नगर के एक रेस्टोरेंट में पत्रकारों से वार्ता कर रहे हैं। देवकी नंदन यहां मीडिया के माध्यम से प्रशासन और सरकार को अल्टीमेटम देने की बात कह रहे थे। उन्होंने कहा कि उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही है। प्रशासन पर मनमानी का आरोप लगाते हुए कहा कि सभा की अनुमति नहीं दी। उन्होंने खुला ऐलान किया कि एससी एसटी एक्ट के खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा। भागवताचार्य ने सरकार को दो माह का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि जैसा था वैसा हो जाए, नहीं तो कड़ा आंदोलन चलाएंगे। तभी भारी संख्या में पहुंचे पुलिस बल ने देवकी नंदन को हिरासत में ले लिया।
इस बाबत एसएसपी अमित पाठक का कहना है कि देवकी नंदन को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। आगरा आने के उनके उद्देश्य के बारे में जाना जा रहा है। जांच चल रही है कि कहीं उन्होंने कोई भड़काऊ बात तो नहीं कही।
बता दें कि मथुरा में एक संगठन बनाकर उन्होंने आंदोलन का ऐलान किया था। जिसके चलते मथुरा प्रशासन ने उन्हें नोटिस दे दिया था। वृंदावन में हुए विप्र महाकुंभ के आयोजकों में भी वे शामिल रहे।
चंद दिन पहले मध्‍यप्रदेश के ग्‍वालियर में भी इस मामले में खुला विरोध प्रदर्शित कर के आए थे।

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