चाकसू। शुक्रवार को आशा सहयोगिनी कर्मचारी संघ की प्रदेश अध्यक्ष निर्मला सेन ने सभी आशाओं के साथ मिलकर ब्लॉक सीएमएचओ सौम्य पंडित के नाम आशा सुपरवाइजर रामप्रसाद शर्मा को ज्ञापन देकर कार्य बहिष्कार करने की चेतावनी दी। जिससे आने वाले दिनों में सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में दिक्कतें आने की पूरी संभावना है।
ज्ञापन में बताया गया कि आशा सहयोगिनी द्वारा अल्प मानदेय में आंगनबाड़ी केंद्रों और चिकित्सा विभाग के अंतर्गत कार्य किया जा रहा है जिसको एक ही विभाग के अधीन किया जाना चाहिए। राजस्थान सरकार के बजट में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका का मानदेय बढ़ाया गया लेकिन आशा सहयोगिनी का मानदेय नही बढ़ाया गया है जबकि फील्ड वर्क आशा सहयोगिनी द्वारा किया जा रहा है। समस्त आशा सहयोगिनी प्रत्येक क्षेत्र में कम मानदेय में कार्य कर रही है। वर्तमान समय में कोरोना जैसी बीमारी में आशाओं ने कार्य किया उसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग की तरफ से उनका क्लेम फॉर्म का पैसा रोका गया।
ज्ञापन में बताया गया है कि मांगे नही मानने पर आने वाले दिनो मे आशा सहयोगिनी द्वारा केंद्र पर नही जाकर कार्य बहिष्कार किया जाएगा। आशा सहयोगिनियों ने बताया कि कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव 2018 में अपने घोषणा पत्र में आंगनबाड़ी केंद्रों पर कार्मिकों को राज्य कर्मचारी बनाए जाने की घोषणा की थी। अब राज्य सरकार विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा कार्मिकों को नियमित राज्य कर्मचारी घोषित करने जा रही है। ऐसे में आंगनबाड़ी आशा सहयोगिनी को भी स्थाई कर राज्य कर्मचारी बनाया जाए। प्रदेश जिला अध्यक्ष निर्मला सेन ने बताया कि सरकार संविदा पर लगे समस्त कार्मिकों को सरकारी कर्मचारी घोषित कर रही हैं। 1970 से आंगनबाड़ी केंद्रों पर लगे समस्त महिला कार्मिक और आशा सहयोगिनी 2004 से कार्यरत होने के बाद भी 2700 रुपए के मानदेय पर कार्यरत हैं। ऐसे में लंबा समय बीतने के बाद भी महिला कार्मिकों को सरकार स्थाई कर्मचारी नहीं मान रही है। महिला कार्मिकों ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और महिला और बाल विकास विभाग के नाम ज्ञापन सौंपकर राज्य में संविदा पर लगी महिला कार्मिकों को स्थाई करने की मांग की है। ज्ञापन देते समय प्रदेश अध्यक्ष निर्मला सेन के साथ सभी ब्लॉक की आशा सहयोगिनी मौजूद थी।