जयपुर । राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने राज्य सरकार को विधानसभा सत्र बुलाने का आदेश दे दिया है।
राज्यपाल ने तीन बिंदुओं पर कार्रवाई करने का परामर्श देते हुए राजभवन को दोबारा पत्रावली प्रस्तुत करने के निर्देश दिए है। विधानसभा का सत्र 21 दिन का क्लीयर नोटिस देकर बुलाया जाये, जिससे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के अन्तर्गत प्राप्त मौलिक अधिकारों की मूल भावना के अन्तर्गत सभी को समान अवसर की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके। अत्यंत महत्वपूर्ण समाजिक एवं राजनैतिक प्रकरणों पर स्वस्थ बहस देश की शीर्ष संस्थाओं यथा सर्वोच्च न्यायालय, माननीय उच्च न्यायालय आदि की भाँति ऑनलाइन प्लेटफार्म पर किये जा सकते है ताकि सामान्य जनता को कोविड-19 के संक्रमण से बचाया जा सके। यदि किसी भी परिस्थिति में विश्वास मत हांसिल करने की विधानसभा सत्र में कार्यवाही की जाती है, तब ऐसी परिस्थितियों में जबकि अध्यक्ष द्वारा स्वयं सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुज्ञा याचिका दायर की है। विश्वास मत प्राप्त करने की सम्पूर्ण प्रक्रिया संसदीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव की उपस्थिति में की जाये तथा सम्पूर्ण कार्यवाही की वीडियों रिकाॅर्डिंग करायी जावे तथा ऐसा विश्वास मत केवल हाँ या ना के बटन के माध्यम से ही किया जाये। यह भी सुनिश्चित किया जायेकि ऐसी स्थिति में विश्वास मत का सजीव प्रसारण किया जाय। उपरोक्त कार्य सर्वोच्च न्यायालय के भारत संघ बनाम हरीश चन्द्र रावत, 2016 के वाल्यूम-16 एसएससी पृष्ठ संख्या 174 एवं प्रताप गौड़ा पाटिल बनाम कर्नाटक राज्य, 2019 के वाल्यूम-7, एस.एस.सी.पृष्ठ संख्या 463 एवं मध्यप्रदेश राज्य के प्रकरण में माननीय सर्वोच्च न्यायालय में पारित आदेशों के अनुरूप ही किया जाए। यह भी स्पष्ट किया जाये कि यदि विधानसभा का सत्र आहूत किया जाता है तो विधानसभा के सत्र के दौरान सामाजिक दूरी का पालन किस प्रकार किया जाएगा। क्या कोई ऐसी व्यवस्था है जिसमें 200 माननीय विधायकगण और 1000 से अधिक अधिकारी/कर्मचारियों को एकत्रित होने पर उनको संक्रमण का कोई खतरा नहीं हो और यदि उनमें से किसी को संक्रमण हुआ तो उसे अन्य में फैलने से कैसे रोका जायेगा।