चाकसू में दो नये कोरोना पॉजिटिव आये सामने, 16 दिन में पॉजिटिव मिले मरीजो का आंकडा पहुॅचा 21

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चाकसू। कस्बे में कोरोना संक्रमण का कहर थमने का नाम नही ले रहा है। कस्बे में 16 दिन में 21 कोरोना पॉजिटिव सामने आ चुके है। चाकसू का वार्ड नं. 12 नया कोरोना हॉटस्पॉट इलाका बनता जा रहा है। बुधवार को चाकसू में वार्ड नं. 12 से दो नये कोरोना पॉजिटिव सामने आये। सैटेलाइट हॉस्पिटल प्रभारी डॉ. शंकरलाल प्रजापत ने जानकारी देते हुए बताया कि शनिवार को चिकित्सा टीम द्वारा 47 लोगो के कोरोना जांच सेम्पल लिए गये थे जिनकी जॉच रिपोर्ट पूर्व में नेगेटिव आ चुकी है। इसके बाद मंगलवार को सम्पर्क में आये हुए लोगो सहित 47 लोगो के कोरोना सेम्पल लिए गये। इन सभी की रिपोर्ट बुधवार को आ गई है उनमे से वार्ड नं. 12 निवासी 20 वर्षीय व 29 वर्षीय युवक की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई है वही 45 की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। बुधवार को दो ओर पॉजिटिव सामने आने के बाद वार्ड 12 में अब तक पॉजिटिव मिले मरीजो का आंकडा 11 हो गया है। हालाकि विगत 16 दिन में जो पॉजिटिव मिले है उनमे से कितने रिकवर हो चुके है इसकी जानकारी फिलहाल चिकित्सा विभाग द्वारा उपलब्ध नही करवाई गयी है।
प्रशासन हुआ सुस्त, लोगो मे भय का माहौल:- कोरोना संक्रमित मरीजो की रिकवरी रेट बढने से एक ओर राज्य सरकार ने कुछ हद तक राहत की सांस ली है वही स्थानीय प्रशासन भी इसको लेकर अब ज्यादा गंभीर नजर नही आ रहा है।
वर्तमान में अगर किसी गली में कोई कोरोना पॉजिटिव मरीज सामने आता है तो उस मरीज को व उसके परिवार को
होम क्वारेंटाइन कर दिया जाता है। कई भीडभाड वाली जगह पर मरीज मिलने के बावजूद उस जगह को सील करने में प्रशासन रुचि नही ले रहा है। स्थानीय लोगो का कहना है कि कोरोना पॉजिटिव मरीज को परिवार के साथ ही होम क्वारेंटाइन करने से परिवार के अन्य लोगो में संक्रमण का खतरा बढता है वही गली सील नही होने से लोग उस संक्रमित इलाके से बेखौफ आवाजाही करते रहते है। वही लोगो का यह भी कहना है कि कोरोना पॉजिटिव मिलने वाले स्थान पर नियमित सेनेटाइज की सुविधा होनी चाहिए लेकिन प्रशासन एक बार सेनेटाइज करवाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड लेता है। इस मामले में सेटेलाइट हॉस्पिटल चिकित्सा प्रभारी डॉ. शंकरलाल प्रजापत का कहना है कि सरकार द्वारा नई गाइड लाइन जारी की गई है जिसके तहत गंभीर स्थिति वाले पॉजिटिव को ही हॉस्पिटलाइज करने के निर्देश है सामान्य पॉजिटिव मरीज को होम क्वारेंटाइन करना होता है।

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