जयपुर। कोविड-19 महामारी में लॉकडाउन के कारण किसानों को उपज बेचने की असुविधा को देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ग्राम सेवा सहकारी समितियों एवं क्रय-विक्रय सहकारी समितियों को गौण मंडी का दर्जा देने का निर्णय किया इसका नतीजा यह रहा कि नियमों में शिथिलता देकर 604 ग्राम सेवा सहकारी समितियों को गौण मंडी घोषित किया गया। इन गौण मंडियों में 427 गौण मंडियों ने सुचारू रूप से कार्य कर महामारी के दौर में किसानों को खेत के समीप ही उपज बेचान की सुविधा प्रदान की। लॉकडाउन के दौरान कोविड-19 की गाइडलाइन की पालना करते हुए गौण मंडियों को सक्रिय करना चुनौतीपूर्ण था लेकिन सहकारिता मंत्री उदय लाल आंजना के मार्गदर्शन एवं प्रमुख शासन सचिव, सहकारिता एवं कृषि नरेश पाल गंगवार की लगातार मानिटरिंग ने इस कार्य को आसान बनाया। कठिन परिस्थितियों में व्यवस्थापक से अतिरिक्त रजिस्ट्रार तक के अधिकारियों को वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से पूरी प्रक्रिया समझाई गई एवं समस्याओं का समाधान किया गया। प्रदेश में हो रही खरीद में 427 ग्राम सेवा सहकारी समितियां एवं क्रय-विक्रय सहकारी समितियां गौण मंडी के रूप में सक्रिय रूप से कार्य कर रही है। बीकानेर संभाग में 141, उदयपुर संभाग में 71, जोधपुर संभाग में 66, अजमेर संभाग में 42, जयपुर संभाग में 40, भरतपुर संभाग में 39 तथा कोटा संभाग में 28 सहकारी समितियों गौण मंडी का कार्य कर रही है। इन गौण मंडियों के संचालन में सहकारिता के साथ कृषि विभाग के अधिकारियों का भी भरपूर सहयोग रहा। सरकार की इस पहल से किसानों के धन एवं समय के साथ कोरोना संक्रमण का बचाव भी हुआ। पहले जहां किसान को 20-25 किलोमीटर दूर मंडी में उपज बेचने जाना होता था लेकिन इस व्यवस्था से यह दूरी घटकर 2 से 5 किलोमीटर हो गई। लॉकडाउन के दौरान टे्रक्टर सहित अन्य वाहनों की किल्लत भी थी। ऎसे में सैम्पल के आधार पर ही बोली लग जाती थी और स्थानीय स्तर पर ही प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य में उपज बिकने से किसान की वित्तीय जरूरतें भी पूरी हुई।