चाकसू। लॉक डाउन के चलते कई परिवार आज भी अपने घरो से दूर दूसरे राज्यो में फसे हुए है। कोरोना महामारी की भयावहता को देखते हुए केन्द्र सरकार एक ओर जहॉ लोगो से आग्रह कर रही है कि वह जहॉ है वही रहे वही दूसरी ओर राज्य सरकार हर गरीब जरुरतमंद लोगो तक राशन पहुॅचाने की बात कह रही है ताकि किसी को भूखा ना सोना पडे। लेकिन आज कई जगह हालात ऐसे है जिसे देखकर सरकार की मंशा पर सवालिया निशान खडे होते है। राजस्थान के जयपुर जिले के चाकसू में ऐसा ही मामला देखने को मिला। लॉकडाउन के चलते करनाल हरियाणा के पांच परिवार चाकसू में फस गये। आज इन परिवारों के 24 सदस्यों के सामने दो वक्त की रोटी का संकट खडा हो गया है। परिवार के मासूम बच्चे व अन्य सदस्य कुछ निवाले खाकर अपने को जिंदा रखे हुए है। बता दे कि स्थानीय प्रशासन व जनप्रतिनिधि अंतिम छोर के जरुरतमंद तक मदद पहुॅचाने के दावे तो कर रहे है लेकिन सच्चाई इसके उलट है। कलन्दर बस्ती में झुग्गी बनाकर रह रहे करनाल के गुल्लू, जब्बार ने बताया कि लॉक डाउन के चलते इनके पांच परिवार फागी में फस गये। जहॉ यह रुके हुए थे वहॉ मजदूरो की संख्या बढ़ जाने से इन्हे चाकसू में रहने वाले रिश्तेदारों के पास जाकर रहने को कहा गया ताकि इनके खाने पीने की व्यवस्था हो सके। अब यह चार अप्रेल से चाकसू में झुग्गी बनाकर रह रहे है। इनका कहना है कि अब तक प्रशासन ने इनकी कोई सुध नही ली है और ना ही राहत सामग्री पहुॅचाई है।
अन्य जगह के होने के नाते इन्हे राशन सामग्री भी उपलब्ध नही हो रही है। यहॉ रह रही परमेजा, साना ने बताया कि खाने के पैकेट आते है लेकिन जो यहॉ के स्थानीय लोगो की बस्ती है उन्हे ही बांटकर चले जाते है। हमें मिलता भी है तो कभी एक दो पैकेट से ज्यादा नही मिलता। अब परिवार में बडे बच्चो सहित आठ-दस लोग है तो दो पैकेट से कैसे भूख मिटे। प्रशासन ने राशन किट भी बस्ती में बांटा है लेकिन वह मदद भी हमारे तक नही पहुॅची। हमारे पांच परिवार बस्ती से थोडी दूरी पर है जिसके चलते यहॉ तक कोई नही आता है और हम भोजन की सूचना पर बस्ती तक पहुॅचते है तो तब तक भोजन के पैकेट खत्म हो जाते है। ऐसे में हमारे सामने बच्चों सहित भूखे मरने की नौबत आ गई है। इन लोगो का कहना है कि प्रशासन अगर हमारे लिए खाने की व्यवस्था नही कर सकता तो हमें हमारे घरो तक पहुॅचा दे।