जयपुर (चाकसू)। प्रशासनिक उदासीनता व अनदेखी के चलते कस्बे के शीतला गांव में मुख्य सड़क पर बनी सकरी व क्षतिग्रस्त पुलिया ने विगत एक माह में हुए तीन हादसों में चार लोगो की जिंदगी लील ली। करीब एक माह में कुछ ही दिनों के अंतराल पर हुए तीन हादसों के चलते यह पुलिया लोगो की नजर में ख्ूानी पुलिया बन गई। अब राहत की खबर यह है कि आखिरकार प्रशासन का ध्यान इस पुलिया की ओर चला गया है। अब प्रशासन ने क्षतिग्रस्त पुलिया की मरम्मत का कार्य शुरु कर दिया है जिसके चलते लोगो को इस पुलिया पर होने वाले हादसों पर अंकुश लगने की उम्मीद जगी है। गौरतलब है कि 17 सितम्बर को एक मैक्स इस पुलिया से खाई में गिर गई थी, जिसमें मैक्स सवार तीन लोगो की मौत हो गई थी। लोगो ने प्रशासन से पुलिया की मरम्मत करवाने व इस पुलिया की चौडाई बढ़ाने की गुहार लगाई लेकिन संबंधित विभाग इसकी जिम्मेदारी एक-दूसरे विभाग पर डालते रहे। इसके बाद 7 अक्टूबर को एक बाईक सवार इसी पुलिया से खाई में जा गिरा जिससे उसकी भी मौत हो गई। इसके बाद भी प्रशासन अपनी जिम्मेदारी के प्रति उदासीन बना रहा। दो हादसों में चार लोगो की जान चली जाने के बाद कस्बे के सर्वसमाज के लोग एकजुट हुए और उपखंड अधिकारी बी.एल.सिनसिनवार को पुलिया मरम्मत का ज्ञापन सौपा, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता की हद तो तब हो गई जब दो हादसों में चार लोगो की जान चली जाने के बावजूद और ज्ञापन द्वारा अवगत करवाने के बाद भी प्रशासन की नींद नही खुली। 12 अक्टूबर को इस खूनी पुलिया से दो बाईक सवार फिर से खाई में गिर गये, लेकिन इस हादसे में गनीमत यह रही कि दोनो तैराक थे और वह तैर कर बाहर आ गये नही तो इनके साथ भी अनहोनी हो सकती थी। क्षतिग्रस्त पुलिया पर बार-बार हो रहे हादसों के बावजूद प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नही किये जाने पर खबर मुद्दे की समाचार पत्र ने सोशल मिडिया वेब पोर्टल पर आाखिर क्यों जयपुर की यह पुलिया बन गई खूनी पुलिया शीर्षक से खबर को प्रमुखता से प्रसारित किया जिसके बाद आखिरकार प्रशासन नींद से जागा और अब उसने क्षतिग्रस्त पुलिया की मरम्मत का कार्य शुरु करवा दिया है। लेकिन अभी भी यहॉ बडा सवाल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर इसलिए उठता है कि अगर समय रहते क्षतिग्रस्त पुलिया की मरम्मत करवा दी जाती तो शायद चार लोगो की जिंदगी बच सकती थी और मृतको के परिवार की खुशियों को गृहण नही लगता।