नई दिल्ली। पिछले साल नवंबर में नोटबंदी के बाद देश तेजी से कैशलेस होने की तरफ बढ़ रहा है। हालांकि अब भी डिजिटल की बजाय कैश पर निर्भरता अधिक है। तमाम लोगों के पास बैंक अकाउंट हैं और उनसे जुड़े डेबिट कार्ड के अलावा क्रेडिट कार्ड का चलन भी पिछले कुछ सालों में बढ़ा है। एटीएम की सुविधा के चलते बैंक जाने की जरूरत भी कम हो चुकी है। लेकिन डेबिट और क्रेडिट कार्ड के अलावा एटीएम के भी अब गिने-चुने ही दिन बचे हैं। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत का कहना है कि जिस तेजी से भारत में तकनीक पांव पसार रही है। जितनी तेजी से लोग डिजिटल भुगतान को अपना रहे हैं और जैसे-जैसे भुगतान के लिए मोबाइल वालेट और बायोमीट्रिक के विकल्प उपलब्ध हो रहे हैं, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि बहुत जल्द डेबिट और क्रेडिट कार्ड के साथ ही एटीएम भी गायब हो जाएंगे। शुक्रवार को पीएचडी चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) में ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट फेस्लिटेशन सर्विस (टीआईएफएस) के उद्घाटन के अवसर पर कांत ने कहा कि तकनीक भारत के विकास में अहम भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा, भारत में फिजिकल बैंकिंग लगभग खत्म ही है और बैंक बेहद तेज गति से व्यापक तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। अगले तीन-चार सालों में मोबाइल वालेट और बायोमीट्रिक मोड के जरिए डिजिटल ट्रांजेक्शन में खासी बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और एटीएम बिल्कुल गायब हो जाएंगे। कांत ने कहा, जहां एक ओर अमेरिका और यूरोप की औसत आयु लगातार बढ़ रही है, वहीं भारत लगातार जवान होता जा रहा है। काम करने की सुगमता पर बात करते हुए उन्होंने कहा, पिछले ही साल हमने 1200 बेकार कानूनों को खत्म किया है। उन्होंने कहा, भारत को विकास की रेस में चैंपियन की तरह आगे बढ़ना है। कांत ने आगे कहा, भारत लगातार वैश्वीकरण की तरफ आगे बढ़ेगा और ऐसे कानूनों को खत्म करने का काम भी जारी रहेगा, जिससे विकास की रफ्तार पर अडंगा लगता हो।