नई दिल्ली। जीएसटी विधेयकों पर लोकसभा में बुधवार को करीब सात घंटे की चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दो अहम घोषणाएं कीं। पहली तो यह कि रियल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने का फैसला एक साल के भीतर कर लिया जाएगा। दूसरा, पेट्रोलियम उत्पादों पर यह कर कब से लागू हो, इसका फैसला जीएसटी काउंसिल करेगी। ऐसा होने पर देशभर में रियल एस्टेट व डीजल-पेट्रोल पर लगने वाले करों में भी काफी एकरूपता आ जाएगी। जीएसटी के लागू होने पर केंद्र के आठ तथा राज्यों के नौ अप्रत्यक्ष कर व सेस समाप्त हो जाएंगे। शराब को छोड़ बाकी सभी वस्तुएं और सेवाएं जीएसटी के दायरे में आएंगी। जीएसटी लागू होने पर सामान्य श्रेणी के राज्यों में 20 लाख और विशेष श्रेणी के राज्यों में 10 लाख से अधिक के सालाना कारोबार वाले व्यापारियों को ही पंजीकरण कराना होगा। जीएसटी के 10 फायदे:
1. कई करों की जगह एक कर
2. दोहरा कराधान नहीं
3. पूरा देश एक बाजार होगा
4. रिटर्न और रिफंड में आसानी
5. आसान पंजीकरणआम लोगों के लिए
6. सरल कर प्रणाली
7. बार-बार कर लगने की प्रक्रिया खत्म होने से महंगाई घटेगी
8. देशभर में एक समान कीमतें
9. कर प्रणाली में पारदर्शिता
10. जीडीपी और रोजगार में वृद्धिक्रांतिकारी बिल
वित्त मंत्री अरुण जेटली के मुताबिक ये एक क्रांतिकारी बिल है जिससे सबका फायदा होगा। इससे सामान सस्ते होंगे। जीएसटी की अलग-अलग दरों का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि एक से ज्यादा टैक्स स्लैब जरूरी है। लेकिन ये जरूरी नहीं है कि दो सामान पर एक जैसी ही जीएसटी की दर हो। चप्पल और बीएमडब्लू कार पर समान टैक्स नहीं हो सकता। जीएसटी काउंसिल दरों को तय करेगी। जेटली के मुताबिक शराब को जीएसटी में शामिल करने के लिए काउंसिल में 75 फीसदी बहुमत की जरूरत होगी। पेट्रो उत्पादों को अभी जीएसटी में शामिल किया है, लेकिन इन पर दर शून्य रहेगी। देश में ‘एक देश-एक कर’ का विचार सबसे पहले अटलजी के नेतृत्व वाली 1999 में राजग सरकार ने किया था। इसके बाद 2006-07 में संप्रग सरकार के प्रथम कार्यकाल में वित्त मंत्री चिदंबरम ने आम बजट पेश करते हुए जीएसटी लाने का औपचारिक रूप से विचार रखा था। चिदंबरम ने इसे एक अप्रैल 2010 से लागू करने का लक्ष्य भी रखा लेकिन तत्कालीन विपक्ष के विरोध के कारण यह संभव नहीं हुआ। मौजूदा राजग सरकार के कार्यकाल में 19 दिसंबर 2014 को जीएसटी के लिए जरूरी संविधान 122वां संशोधन विधेयक लोक सभा में पेश किया। लोक सभा ने मई 2015 में इस विधेयक को पारित कर दिया। इसके बाद यह संविधान संशोधन विधेयक राज्यसभा की प्रवर समिति को भेज दिया गया। समिति ने जुलाई 2015 में अपनी रिपोर्ट दी। इस तरह करीब एक साल बाद यह विधेयक अगस्त 2016 में पहले राज्यसभा और फिर लोकसभा से पारित हुआ। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने 8 सितंबर 2016 को इस संविधान संशोधन को मंजूरी दी और 16 सितंबर 2016 से यह 101वें संविधान संशोधन के रूप में प्रभाव में आया। इस संविधान संशोधन विधेयक के जरिए संविधान में जीएसटी लागू करने के संबंध में जरूरी प्रावधान जोड़ दिए गए। इसमें एक महत्वपूर्ण प्रावधान जीएसटी काउंसिल के गठन का था। जीएसटी काउंसिल के अध्यक्ष हैं जेटली वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली जीएसटी काउंसिल में सभी राज्यों के वित्त मंत्री बतौर सदस्य शामिल हैं।