जयपुर। उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा ने एसिड हमलों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे हमलों की रोकथाम के लिए ऐसी सजा दिए जाने की जरूरत है जो मिसाल पेश कर सकें। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा ‘बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 और एसिड हमलों के शिकार लोगों को कानूनी सेवा’ विषय पर आयोजित सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मिश्रा ने कहा कि पीडि़तों और उनके परिवार को कानूनी सहायता और योजनाओं के बारे में जागरूक बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कानून प्रर्वतन एजेंसियों को भी एसिड की अवैध बिक्री की जांच करनी चाहिए। मिश्रा ने कहा कि ज्यादातर मामलों में एसिड हमलों की शिकार महिलाएं होती हैं। उन्हें शारीरिक, मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ता है और समाज की मुख्यधारा से वापस जुडऩे में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
उच्चतम न्यायालय ने ऐसे पीडि़तों को विकलांग श्रेणी में सम्मिलित करने के लिए निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में अनुकरणीय सजा होनी चाहिए, जिससे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो। न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि बाल विवाह से बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से होने वाले गंभीर खतरों के बारे में शिक्षित करने की जरूरत है। उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा ने भी बाल विवाह के प्रति जागरुकता की आवश्यकता पर बल दिया। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित सत्र में राजस्थान के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश और राजस्थान राज्य कानून सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष केएस झावेरी समेत अन्य लोग भी मौजूद थे।