नई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट की आज की बैठक में जीएसटी के सहायक चार विधेयकों मुआवजा कानून, केंद्रीय जीएसटी (सी-जीएसटी), एकीकृत जीएसटी (आई-जीएसटी) समेत केंद्र शासित जीएसटी (यूटी-जीएसटी) को मंजूरी दे दी। कैबिनेट से मंजूरी के बाद अब इन विधेयकों को संसद में पेश किया जाएगा। इसके बाद इसे राज्यों की विधानसभा में पेश किया जाएगा। केंद्र सरकार जीएसटी को लेकर किसी तरह की देरी करने के मूड में नहीं है। सरकार ने नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को एक जुलाई से लागू करने का लक्ष्य रखा है। जीएसटी परिषद ने अपनी पिछली दो बैठकों में राज्य जीएसटी (एस-जीएसटी) के साथ चारों विधेयकों को मंजूरी दे दी। एस-जीएसटी को प्रत्येक राज्य विधानसभा में पारित किया जाना है जबकि अन्य चार कानून को संसद को मंजूरी देनी है। मंजूरी के बाद जीएसटी कानूनी रूप से वैध हो जाएगा। सरकार को उम्मीद है कि सी-जीएसटी, आई-जीएसटी, यूटी-जीएसटी और जीएसटी मुआवजा विधेयक संसद के मौजूदा सत्र में पारित हो जाएगा और एस-जीएसटी को जल्दी ही राज्यों के विधानसभाओं से मंजूरी मिल जाएगी जिससे नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को एक जुलाई से लागू करने में मदद मिलेगी। जीएसटी को लागू करने से पहले जीएसटी के सहयोगी बिलों को संसद की मंजूरी मिलनी जरूरी है। इसमें कम्पनसेशन लॉ, सेंट्रल-जीएसटी (सी-जीएसटी) और इंटिग्रेटेड जीएसटी (आई-जीएसटी), यूनियन टेरिटरी-जीएसटी (यूटी-जीएसटी) शामिल है। कैबिनेट की अप्रूवल के बाद इन बिलों को संसद में रखा जाएगा। इन 5 बिलों में से स्टेट-जीएसटी (एस-जीएसटी) को हर राज्य की विधानसभा की तरफ से पास किया जाना है, जबकि अन्य चार को संसद की तरफ से मंजूरी मिलनी जरूरी है।