जयपुर। बैंक यूनियनों के एक वर्ग की हड़ताल के कारण मंगलवार को सरकारी बैंकों की तमाम शाखाएं या तो बंद रहीं या उनमें काम कामकाज नहीं हुआ। यूनियनों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर एक दिन की इस हड़ताल का एलान किया था। इसमें यह मांग भी है कि वसूल नहीं हो रहे कर्जों के लिए बड़े अधिकारियों को उत्तरदायी ठहराया जाए। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स यूएफबीयू की अपील पर इस हड़ताल से विभिन्न बैंकों की शाखाओं में धन के नकद जमा और आहरण तथा चेकों के समाशोधन का काम बुरी तरह प्रभावित बताया गया। यूएफबीयू में नौ यूनियन हैं जिनमें भारतीय मजदूर संघ बीएमएस से संबंधित नेशनल आर्गनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स एनओबीडब्ल्यू तथा नेशनल आर्गनाइजेशन ऑफ बैंक ऑफीसर्स एनओबीओ भी हैं लेकिन बीएमएस से संबद्ध ये दोनों ही संगठन आज की हड़ताल में शामिल नहीं हैं। आल इंडिया बैंक एम्लाईज एसोसिएशन एआईबीईए के महासचिव सीएस वेंकटचलम ने एक समाचार ऐजेंसी को बताया कि प्रबंधकों और आईबीए (इंडियन बैंक्स एसोसिएशन) की हठधर्मिता और संवेदनहीनता के कारण हमें इस हड़ताल के लिए मजबूर होना पड़ा है। इन लोगों ने नोटबंदी के दौरान बैंक कर्मियों की ओर से अतिरिक्त समय तक दी गई सेवाओं के लिए अलग से भुगतान किए जाने की हमारी मांग पर बातचीत करना भी उचित नहीं समझा। बीएमएस से सम्बद्ध एनओबीडब्ल्यू के उपाध्यक्ष अश्विनी राणा ने कहा है कि यह हड़ताल अनावश्यक थी क्योंकि आईबीए ने मार्च के पहले सप्ताह में यूनियनों को बातचीत के लिए बुला रखा है और ग्रेच्युटी के बारे में भी सरकार ने मानसून सत्र में कानून में संशोधन का आश्वासन दे रखा है। हड़ताल टाली जा सकती थी।
भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के 27 बैंक हैं। इनका कुल बैंकिंग सेवा बाजार के तीन चौथाई कारोबार पर नियंत्रण है। उधर बैंकों की देशव्यापी हड़ताल का असर राजस्थान प्रदेश में भी देखने को मिला। हड़ताल के चलते राजस्थान प्रदेश में करीब 3500 बैंक शाखाओं पर ताले लगे रहे। उधर बैंकों की हड़ताल के कारण उपभोक्ताओं को परेशानी उठानी पड़ी। वहीं हड़ताल के कारण करीब देश भर में करीब 10 अरब रुपए का कारोबार प्रभावित हुआ है।