राष्ट्रगान पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश, फिल्म के दौरान खड़े होने की जरूरत नहीं

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नई दिल्ली। फिल्म के दौरान राष्ट्रगान पर सुप्रीम कोर्ट ने संशोधित आदेश जारी किया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि फिल्म के दौरान राष्ट्रगान बजने पर खड़े होने की जरूरत नहीं है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि अभी इस मामले को लेकर देश में कोई कानून नहीं है। इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम नैतिकता के पहरेदार नहीं हैं, मुद्दे पर बहस हो। हालांकि फिल्म से पहले बजने वाले राष्ट्रगान पर खड़ा होना अनिवार्य है। गौरतलब है कि इससे पहले दिसंबर 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने सिनेमाघरों में राष्ट्रीयगान बजने से पहले सभी दर्शकों को सम्मान में खड़ा होने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि राष्ट्रीय गान बजते समय सिनेमाहॉल के पर्दे पर राष्ट्रीय ध्वज दिखाया जाना भी अनिवार्य होगा। श्याम नारायण चौकसी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की थी कि सिनेमा हॉल में प्रत्येक फिल्म के प्रदर्शन से पहले हर बार राष्ट्र गान बजाया जाए। 30 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया था कि सभी सिनेमा घरों में फिल्म के शुरू होने से पहले राष्ट्रगान चलवाना होगा। इसके अलावा राष्ट्रगान के वक्त स्क्रीन पर तिरंगा भी दिखाना जरूरी किया गया था। राष्ट्रगान के सम्मान में सभी दर्शकों को खड़ा होना होगा यह भी कहा गया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कई ऐसे मामले सामने आए जिसमें राष्ट्रगान के दौरान खड़े ना होने वाले की पिटाई की गई। राष्ट्रगान बजाने की जनहित याचिका श्याम नारायण चौकसे नाम के शख्स ने डाली थी। उन्होंने मांग की थी कि देशभर में सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाया जाना चाहिए और इसे बजाने तथा सरकारी समारोहों और कार्यक्रमों में इसे गाने के संबंध में उचित नियम और प्रोटोकॉल तय होने चाहिए जहां संवैधानिक पदों पर बैठे लोग मौजूद होते हैं।

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